बुरी खबर आर्थिक मोर्चे पर देश को तिहरा झटका, 6 माह में दोगुना से अधिक का इजाफा
समय जगत, नई दिल्ली
महंगाई के मोर्चे पर देश के लिए एक और बुरी खबर सामने आयी है। दिसंबर महीने में थोक महंगाई दर बढ़कर 2.59 फीसदी पर पहुंच गयी है। नवंबर महीने की बात करें तो तब थोक महंगाई दर सिर्फ 0.58 फीसदी थी। बता दें सोमवार को खुदरा महंगाई दर के आंकड़े जारी हुए थे।
आंकड़ों से पता चला है कि पिछले 6 महीने में खुदरा महंगाई दर दो गुना से ज्यादा बढ़ गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक मुख्य रूप से प्याज और आलू के दाम बढऩे से थोक मुद्रास्फीति बढ़ी है। नवंबर में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 0.58 प्रतिशत पर थी। दिसंबर, 2018 में यह 3.46 प्रतिशत के स्तर पर थी। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार दिसंबर में खाद्य वस्तुओं के दाम 13.12 प्रतिशत बढ़े। एक महीने पहले यानी नवंबर में इनमें 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी।
इधर खुदरा मुद्रास्फीति की दर दिसंबर, 2019 में जोरदार तेजी के साथ 7.35 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई है। यह भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से कहीं अधिक है। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तेजी की वजह से खुदरा मुद्रास्फीति में उछाल आया है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर, 2019 में 5.54 प्रतिशत और दिसंबर, 2018 में 2.11 प्रतिशत के स्तर पर थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार दिसंबर में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति बढ़कर 14.12 प्रतिशत पर पहुंच गई। दिसंबर, 2018 में यह शून्य से 2.65 प्रतिशत नीचे थी। नवंबर, 2019 में यह 10.01 प्रतिशत पर थी। केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया है। अब यह केंद्रीय बैंक के लक्ष्य से कहीं अधिक हो गई है।
रोजगार की बढ़ेगी किल्लत, 20 प्रतिशत नौकरियां होंगी कम
अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर तीसरा झटका रोजगार के क्षेत्र में लगा है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एक रिसर्च नोट के अनुसार 2019-20 में नए पे-रोल के आधार पर 2018 की तुलना में 20 प्रतिशत नौकरियां कम हो सकती है। ये वैसी नौकरियां हैं जो पे-रोल के आंकड़ों पर आधारित होती हैं। एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट इकोरैप के अनुसार असम, बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में नौकरी मजदूरी के लिए बाहर गए व्यक्तियों की ओर से घर भेजे जाने वाले धन में कमी आयी है। यह दर्शाता है कि ठेका श्रमिकों की संख्या कम हुई है। ईपीएफओ के आंकड़े में मुख्य रूप से कम वेतन वाली नौकरियां शामिल होती हैं जिनमें वेतन की अधिकत सीमा 15,000 रुपये मासिक है।