भारत जाग उठा है विश्व  विजयी होने के लिए


शिकागो की धर्म संसद में स्वामी जी की उपस्थिति भारत जागरण के इतिहास में महत्वपूर्ण घटना है।  श्री अरविंद कहते हैं- विवेकानंद का पश्चिम में जाना विश्व के सामने जीवंत संकेत है कि भारत जाग उठा है, ना कि जीवित रहने के लिए बल्कि विजयी होने के लिए अमेरिका के  भिन्न- भिन्न शहरों में स्वामी जी के व्याख्यानोंं की धूम मच गई  आपने अनेक नगरों ओर उप नगरों का भ्रमण कर,व्याख्यान दिए धर्म संसद के इस पहले भाषण के बाद तो शिकागो के सभी गणमान्य लोगों ने अपने- अपने घर आमंत्रित किया। हर कोई उन्हें अपने घर बुलाना चाहता था,  इसी क्र्रम में पहले दिन के सत्र समापन के बाद स्वामी जी को एक करोड़पति के भवन में ले जाकर उनका भव्य स्वागत किया गया। गृह स्वामी ने विवेकानंद जी के स्वागत सम्मान में कोई कमी नहीं छोड़ी लेकिन स्वामी जी धन दौलत यश पद  के भूखे नहीं थे ना ही उन्हें ऐसे ठाट बाट शान शौकत की आदत थी। और अचानक मिली प्रशंसा से बहुत बेचैन हो उठे। तड़प और बेचैनी के बीच स्वामी विवेकानंद जी नहीं भूल पाए कि उनके भारत वासी कितने समस्याओं से घिरे हुए हैं। उनके ह्रदय में भारत के प्रति वेदना बनी रही। वे ऐशो आराम वाले बिस्तरो में नहीं सो पाए। देर रात भर भूमि पर पड़े पड़े बालकों की तरह रोते रहे  उन्होंने प्रार्थना की- मां जब तक मेरा देश घोर गरीबी में डूबा हुआ हो तब ख्याति की चिंता कैसे है। कुछ भारतीय इतने दर्द में है कि हममें लाखों तो मु_ी भर अनाज के अभाव में मर जाते हैं, जबकि यहां के लोग अपने आराम के लिए पानी की तरह पैसा बहाते हैं।  भारतीयों का उत्थान कौन करेगा कौन उन्हें खाने को देगा? मां मुझे बता कि मैं उनकी सेवा कैसे करूं? भारत के लिए स्वामी जी का इतना अधिक प्रेम था इतनी तड़़प थी।
पं संजय भदौरिया (मनु)