सावरकर पर सियासत से महाराष्ट्र में संकट! कैसे चलेगी उद्धव सरकार?

वीर सावरकर पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच छिड़ी जंग में शिवसेना की एंट्री ने कांग्रेस को परेशानी में डाल दिया है. 


नई दिल्ली: वीर सावरकर (Veer Savarkar) पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच छिड़ी जंग में शिवसेना (Shiv Sena) की एंट्री ने कांग्रेस को परेशानी में डाल दिया है. अब सावरकर के नाम पर महाराष्ट्र (Maharashtra) में नए-नए दोस्तों के बीच तकरार बढ़ गई है. कांग्रेस के बाद अब शिवसेना ने भी अपना रुख साफ कर दिया है और ना सिर्फ सावरकर के सम्मान की बात दोहराई है बल्कि कांग्रेस को सावरकर का सम्मान करने की नसीहत भी दी है. रही सही कसर एनसीपी ने पूरी कर दी है. एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री छगन भुजबल ने भी सावरकर को महाराष्ट्र का सम्मान बताया है, ऐसे में सवाल यही है कि सावरकर पर तकरार, कैसे चलेगी महाराष्ट्र सरकार? सावरकर पर शिवसेना नहीं साथ, कैसे बनेगी कांग्रेस की बात?


उधर, वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि केस करेंगे. उन्होंने कहा कि शिवसेना नैतिकता और राजनीति में नैतिकता का चुनाव करे. जी मीडिया से रंजीत सावरकर ने कहा कि वो राहुल राहुल गांधी के बयान को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से भी मिलेंगे. रंजीत सावरकर ने कहा है कि शिवसेना पॉलिटिक्स और एथिक्स में से एथिक्स को चुनें.


रंजीत सावरकर का यह बयान भी आज चर्चा में रहा जिसमें उन्होंने शिवसेना को कांग्रेस के बिना महाराष्ट्र में अकेले सरकार चलाने का मशविरा दिया. रंजीत सावरकर ने दावा किया कि बीजेपी, शिवसेना की सरकार को नहीं गिराएगी. सावरकर विवाद के बाद महाराष्ट्र में सियायत 360 डिग्री घूम गई है. शिवसेना, बीजेपी एक ही मुद्दे पर साथ हैं, जबकि उद्धव सरकार में सहयोगी कांग्रेस अलग-थलग पड़ गई है.  









उधर, कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने कहा कि राहुल गांधी ने सावरकर का कोई अपमान नहीं किया है. यह सब जानते हैं कि सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी और ब्रिटिश शासन के आगे सिर झुकाया था. कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि राहुल ने जो कहा, बिल्कुल ठीक कहा, इसलिए माफी का तो सवाल ही पैदा नहीं होता. वहीं BSP अध्यक्ष मायावती ने ट्वीट कर कहा है कि इससे कांग्रेस का दोहरा चरित्र उजागर हो गया है. पार्टी अब भी शिवसेना के साथ क्यों है. मायावती ने कहा है कि शिवसेना अपने मूल एजेंडे पर क़ायम है, उसे सावरकर पर कांग्रेस का रवैया बर्दाश्त नहीं है. ऐसे में कांग्रेस को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. वार्ना ये कोरी नाटकबाजी मानी जाएगी.