मास्टरमाइंड के बनाए चोर दरवाजे से टैक्स की चोरी

बैतूल जनपद की पंचायतों से वेंडर के बिल भुगतान में नहीं काटा गया टीडीएस
बैतूल। जनपद पंचायत बैतूल की पंचायतों से लाखों रुपये का पेमेंट किया गया पर चोर दरवाजे से शासन को भी चूना लगाने में कसर बाकी नहीं रखी गई। जिस प्रक्रिया से पंचायतों में किसी भी तरह की सामग्री क्रय की जाना था, उसकी तो धज्जियां उड़ा ही दी गई, साथ ही इससे टीडीएस की भी चोरी की गई। टीडीएस से बचने के लिए पंचायतों को चोर दरवाजे तक ले जाने का मास्टरमाइंड किसी पंडे को बताया जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि भंडार क्रय नियम के इतर हुई सप्लाई और उसके भुगतान पर एमपीएजी के ऑडिटर ने कभी आपत्ति नही ली जबकि इस तरह के भुगतान में टीडीएस काटा जाना चाहिए था। पिछले पांच साल का अगर हिसाब-किताब किया जाए तो बैतूल जनपद की पंचायतों से मास्टर माइंड पंडे की वजह से इनकम टैक्स विभाग को लाखों के टैक्स से हाथ धोना पड़ा। इसके बाद भी इनकम टैक्स विभाग की इस तरह के भुगतान पर कभी वक्रदृष्टि नहीं पड़ी। वैसे कहा जा रहा है कि अगर वेंडर के भुगतान इनकम टैक्स विभाग को उपलब्ध करवा दिये जाए तो वेंडर पर लाखों की रिकवरी निकलेगी।
ऑलराउंडर रवि प्रकाश से समझे खेल
बैतूल जनपद की पंचायतो में हर तरह की सप्लाई के नाम पर रविप्रकाश नामक फर्म ने लाखों का भुगतान लिया। इस फर्म ने पंचायतों में टेंट लगाने से लेकर स्टेशनरी और इलेक्ट्रिक आइटम तक सप्लाई में भुगतान लिया। बूंदी के लड्डू से लेकर परिवहन तक सेवा में पेमेंट लिया पर यह कन्फर्म है कि जीएसटी तो कटवाया ही नहीं पर टीडीएस तक नहीं चुकाया। इसी तरह की हालत एचआर ट्रेडर्स, अंकित और हंसराज सप्लायर के बिल भुगतान में भी हालत है।
अनिवार्य है दो फीसदी टीडीएस
जिस भी वेंडर के माध्यम से पंचायतें किसी भी तरह की खरीदी करती हो और उसे पांच हजार से अधिक का भुगतान करती है तो उसमें नियमानुसार दो फीसदी टीडीएस काटा जाना चाहिए और जो टीडीएस काटा जाएगा उसका सर्टिफिकेट भी उस वेंडर को दिया जाना चाहिए, जिससे कि वह रिटर्न के लिए क्लेम कर सके। पंचायतों की सप्लाई में इस नियम का जरा भी पालन नहीं हो रहा है, जो कि शासन को सीधे चूना लगाने वाली बात है।
वेंडरों का पेन नंबर नहीं
पिछले एक दशक में पेन नंबर होना अनिवार्य माना गया और हर तरह के भुगतान में पेन नंबर लिया जाना भी जरूरी है। इसके बावजूद पंचायतों में जिन वेंडरों से रेत, गिट्टी, ईंट, सीमेंट या अन्य किसी भी तरह की सामग्री ली गई और उसे भुगतान किया गया, उस वेंडर से कभी भी पेन नंबर नहीं मांगा गया और ना ही उक्त वेंडर से कभी कहा गया कि वह टीडीएस जमा करें। नतीजा यह रहा कि बिना पेन नंबर और बिना टीडीएस के ही पंचायतों से लाखों रुपये के भुगतान इस दौरान होते रहे। दैनिक समयजगत द्वारा पिछले कुछ दिनों लगातार समाचार प्रकाशित कर जनपद बैतूल के भ्रष्टाचार को उजागर किया जा रहा है। इसके बावजूद जिम्मेदार कार्यवाही करने के बजाए शिकायतों का इंतजार करते रहे हैं।